बाऱिश की बौछार / March 15, 2017 / kamalnishad किस मुँह से इल्ज़ाम लगाएं बारिश की बौछारों पर, हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी मिट्टी की दीवारों पर !!
लौट आओ / March 15, 2017 / kamalnishad ✪⇉सुनो लौट ?आओ ना तुम ? भी कुछ वैसे ही… ? जैसे मूवी ? आती है अपने नाम के पीछे रिटर्न्स ☑ लगाकर…|•|???|•|
ऐ चाँद / March 15, 2017 / kamalnishad ऐ चाँद जा, क्यों आया है अब मेरी चौखट पर…! छोड़ गया है वो शख्स, जिसकी याद में तुम्हें देखा करते थे…!!
ख़्वाहिशों की हद / March 15, 2017 / kamalnishad सच है …..ख्वाहिशों की कोई हद्द नही होती….. अब मेरी ही ख्वाहिशों को देखो…. तुम…. तुम….और बस..तुम..!!❗❗❗