संगत का असर.. / October 6, 2017 / kamalnishad कहते हैं कि हो जाता है, संगत का असर.. पर काँटों को… आज तक नहीं आया, महकने का सलीका… !!!!
सज़ा / March 16, 2017 / kamalnishad लौटा जो बिना जुर्म की सज़ा काट कर… घर आ के उसने सारे परिंदे रिहा कर दिए…..
shopping / March 15, 2017 / kamalnishad सबने खरीदा सोना, मैने एक सुई खरीद ली, सपनों को बुनने जितनी डोरी खरीद ली। शौक- ए- जिन्दगी कुछ कम किये, फिर सस्ते में ही सुकून-ए-जिन्दगी खरीद ली।। ?
आप नहीं तुम / March 15, 2017 / kamalnishad अर्ज़’ किया है….. तुम मुझे “तुम” ‘कहकर’ ही ‘बुलाओ’…. तो ‘बेहतर’ हो… . . ये “आप” न जाने क्यों… ‘केजरीवाल’ सा लगता है….??
ज़िद / March 15, 2017 / kamalnishad ग़ज़ल लिखी हमने उनके होंठों को चूम कर…..!! वो ज़िद्द कर के बोले.. ‘ फिर से सुनाओ’…..!!